Arijit Singh: एक साधारण लड़के से म्यूज़िक आइकॉन बनने तक की कहानी
हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री में अगर किसी सिंगर की आवाज़ ने बीते दशक में सबसे ज्यादा दिलों को छुआ है, तो वो हैं अरिजीत सिंह। उनकी आवाज़ में वो जादू है जो दर्द, मोहब्बत, तन्हाई, और इमोशन को सीधा दिल तक पहुंचा देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जादूई आवाज़ के पीछे कितनी मेहनत, संघर्ष और सच्ची लगन छिपी है?
चलिए जानते हैं अरिजीत सिंह की ज़िंदगी की कहानी – एक आम लड़के से म्यूज़िक इंडस्ट्री के बादशाह बनने तक का सफर।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
अरिजीत सिंह का जन्म 25 अप्रैल 1987 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के जीयागंज नामक छोटे से शहर में हुआ था। उनके पिता पंजाबी थे और माँ बंगाली, जो एक बहुत अच्छी गायिका थीं। घर में संगीत का माहौल था, इसलिए अरिजीत को भी बचपन से ही संगीत में रुचि हो गई।
उनकी माँ तबला बजाती थीं, और दादी भी क्लासिकल संगीत से जुड़ी थीं। संगीत उनके लिए कोई करियर नहीं, बल्कि एक संस्कार जैसा था।
शिक्षा और संगीत की शिक्षा
अरिजीत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई जीयागंज के एक स्कूल से की और साथ ही साथ संगीत की शिक्षा भी शुरू कर दी। उन्हें क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग राजेंद्र प्रसाद हजारी, बिरेंद्र प्रसाद हजारी, और धमन सोम जैसे गुरुओं से मिली।
वो तबला, हारमोनियम और गिटार भी सीखते थे। उनके गुरु उन्हें बहुत मेहनती और भावुक छात्र मानते थे।
बचपन में ही उन्होंने कई संगीत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई राज्य स्तरीय स्कॉलरशिप भी प्राप्त की।
रियलिटी शो से पहचान की शुरुआत
अरिजीत सिंह का असली म्यूजिक करियर शुरू हुआ 2005 में, जब उन्होंने Sony TV के फेमस म्यूजिक रियलिटी शो Fame Gurukul में हिस्सा लिया। इस शो में वो टॉप 6 में पहुंचे, लेकिन शो नहीं जीत सके। हालांकि, उन्होंने देशभर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
संगीतकार शंकर महादेवन ने उन्हें शो में सराहा और यही से उन्हें इंडस्ट्री में काम मिलने लगा। हालांकि, शुरुआत में वो बैकग्राउंड सिंगिंग, प्रोग्रामिंग और म्यूजिक प्रोडक्शन जैसे काम करते रहे।
संघर्ष का दौर
Fame Gurukul के बाद उन्होंने मुंबई में एक स्टूडियो सेटअप किया और Pritam, Vishal-Shekhar, Shankar-Ehsaan-Loy जैसे कई म्यूजिक डायरेक्टर्स के लिए असिस्ट करने लगे। उन्होंने कई गानों की म्यूजिक प्रोग्रामिंग और मिक्सिंग की, लेकिन उनकी आवाज़ को पहचान नहीं मिल पा रही थी।
वो खुद के गाने रिकॉर्ड करते, लेकिन उन्हें रिलीज़ होने में समय लगता। इस दौरान उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को लगातार बेहतर करते गए।
पहला ब्रेक और सफलता
पहला रिकॉर्डेड गाना:
उनका पहला गाना था “Phir Mohabbat” (Murder 2 – 2011), लेकिन यह गाना देरी से रिलीज़ हुआ। इससे उन्हें थोड़ी पहचान मिली।
असली ब्रेकथ्रू:
2013 में आई फिल्म Aashiqui 2 का सुपरहिट गाना “Tum Hi Ho” ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। इस गाने ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई और वो सीधे म्यूजिक इंडस्ट्री के टॉप प्लेबैक सिंगर बन गए।
इसके बाद तो एक के बाद एक सुपरहिट गाने आए:
- Raabta (Agent Vinod)
- Channa Mereya (Ae Dil Hai Mushkil)
- Agar Tum Saath Ho (Tamasha)
- Muskurane (Citylights)
- Tera Yaar Hoon Main (Sonu Ke Titu Ki Sweety)
- Kesariya (Brahmastra)
पुरस्कार और उपलब्धियाँ
अरिजीत सिंह को अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं:
- Filmfare Awards – 6 बार जीत चुके हैं
- IIFA, Zee Cine, Mirchi Music Awards
- 2014 में “Tum Hi Ho” के लिए Best Male Playback Singer का Filmfare Award
- उन्हें लगातार कई सालों तक भारत का सबसे ज़्यादा स्ट्रीम होने वाला सिंगर घोषित किया गया है
निजी जीवन
अरिजीत सिंह की निजी ज़िंदगी हमेशा से मीडिया से दूर रही है।
- उन्होंने 2014 में अपनी बचपन की दोस्त Koel Roy से शादी की।
- ये उनकी दूसरी शादी थी और कोयल भी पहले से तलाकशुदा थीं।
- उनके दो बच्चे हैं और वो परिवार के साथ बहुत ही सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।
अरिजीत का स्वभाव और सोशल वर्क
अरिजीत सिंह बेहद इंट्रोवर्ट हैं।
- उन्हें लाइमलाइट पसंद नहीं है।
- वो मीडिया इंटरव्यू बहुत कम देते हैं।
- अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा में लगाते हैं।
उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक NGO खोला है जो गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराता है। COVID के समय उन्होंने अस्पतालों और ऑक्सीजन के लिए करोड़ों का योगदान दिया था।
अरिजीत की खासियत
- वो एक बहुप्रतिभाशाली गायक हैं – रोमांटिक, दर्दभरे, क्लासिकल, पॉप, हर जॉनर में गा सकते हैं।
- उनकी आवाज़ में एक भावना और सच्चाई है, जो हर दिल को छू जाती है।
- वे अपने हर गाने को एक स्टोरी की तरह पेश करते हैं।
अरिजीत सिंह सिर्फ एक गायक नहीं हैं, बल्कि एक एहसास हैं।
उनकी आवाज़ उन तमाम लोगों की आवाज़ है, जिन्होंने कभी प्यार किया हो, किसी को खोया हो या फिर किसी की याद में जिए हों। उन्होंने दिखाया कि अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
उनकी ज़िंदगी हमें सिखाती है –
“सपने वही सच होते हैं, जिनके लिए आप चैन से सोना छोड़ दें।”