श्री शनिदेव जी की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
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श्री शनिदेव जी की आरती
श्री शनिदेव जी की आरती – FAQ
1. श्री शनिदेव कौन हैं?
श्री शनिदेव ग्रहों के शासक माने जाते हैं। वे न्याय और कर्म के देवता हैं और किसी भी व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं। शनिदेव की पूजा से शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
2. शनिदेव की आरती कब की जाती है?
शनिदेव की आरती विशेष रूप से शनिवार के दिन की जाती है, लेकिन यदि किसी को शनि दोष हो तो यह हर दिन की जा सकती है। शनिवार को शनिदेव के मंदिर में पूजा और आरती का विशेष महत्व होता है।
3. शनिदेव की आरती का क्या लाभ है?
शनिदेव की आरती से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। यह आरती शनि ग्रह के प्रभाव को शांत करती है और जीवन में सुख-समृद्धि, धन और वैभव का वास करती है।
4. शनिदेव की आरती कैसे करें?
शनिदेव की आरती करने के लिए शनिवारी या किसी उपयुक्त दिन सुबह या शाम के समय दीपक और तेल का प्रयोग करें। शनिदेव के मंत्र का जाप करें और आरती के साथ शनि देव का ध्यान करें।
5. शनिदेव की आरती के बोल कहाँ मिलेंगे?
शनिदेव की आरती के बोल आप धार्मिक पुस्तकों, मंदिरों की दीवारों पर, यूट्यूब चैनल्स और धार्मिक वेबसाइट्स पर आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।