श्री हनुमान स्तवन
।। जय श्री राम ।।
प्रनवऊं पवन कुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामअग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियं भक्तं वातंजातं नमामि।
गोष्पदीकृत वारिशं मशकीकृत राक्षसम्।
रामायण महामालारत्नं वन्दे नीलात्मजं।
अंजनानंदनंवीरं जानकीशोकनाशनं।
कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम्।
उलंघ्यसिन्धों: सलिलं सलिलं य: शोकवह्नींजनकात्मजाया:।
तादाय तैनेव ददाहलंका नमामि तं प्राञ्जलिंराञ्नेयम।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीय विग्रहम्।
पारिजाततरूमूल वासिनं भावयामि पवमाननंदनम्।
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृत मस्तकाञ्जिंलम।
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं राक्षसान्तकाम्।
।। जय श्री राम ।।
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श्री हनुमान स्तवन – FAQ
1. श्री हनुमान स्तवन क्या है?
श्री हनुमान स्तवन एक भक्ति स्तोत्र है जिसमें भगवान हनुमान जी की स्तुति की जाती है। इसे पढ़ने से श्रद्धालु को बल, बुद्धि और भक्ति की प्राप्ति होती है।
2. श्री हनुमान स्तवन कब पढ़ना चाहिए?
इसे प्रातःकाल या संध्या समय पढ़ना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
3. श्री हनुमान स्तवन पढ़ने से क्या लाभ होता है?
इस स्तवन के पाठ से भय, शोक, रोग, और शत्रु बाधा से रक्षा होती है। यह मन को शांति और आत्मबल प्रदान करता है।
4. क्या श्री हनुमान स्तवन रोज़ पढ़ सकते हैं?
हाँ, इसे श्रद्धा और नियम के साथ प्रतिदिन पढ़ा जा सकता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास आता है।
5. श्री हनुमान स्तवन किसने लिखा है?
श्री हनुमान स्तवन की रचना तुलसीदास जी ने की है, जो भगवान श्रीराम के परम भक्त थे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास