भए प्रगट कृपाला परम दयाला-श्री राम स्तुति
भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मनहारी अदभुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
करुना सुखसागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते प परहिं भवकूपा॥
✍️ **रचयिता:** गोस्वामी तुलसीदास
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भावार्थ -
भए प्रगट कृपाला – श्री राम स्तुति
1. हुए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी।
करुणा के सागर, दीनों पर दया करने वाले श्रीराम, माता कौशल्या के हितकारी रूप में प्रकट हुए।
2. हरषित महतारी मुनि मनहारी अदभुत रूप बिचारी॥
माता कौशल्या अत्यंत प्रसन्न हुईं, मुनियों को आकर्षित करने वाला, अद्भुत रूप उनके मन में बसा।
3. लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
श्रीराम का रूप नेत्रों को आनंद देने वाला है, शरीर बादलों के समान श्यामवर्ण है, और उनके चारों भुजाओं में दिव्य आयुध हैं।
4. भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥
उनके शरीर पर सुंदर आभूषण व वनमाला हैं, नेत्र विशाल हैं, और वे शोभा के समुद्र तथा खर-दूषण के संहारक हैं।
5. कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता॥
मैं दोनों हाथ जोड़कर कहता हूँ – हे अनंत प्रभु! आपकी स्तुति मैं किस प्रकार करूँ?
6. माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
आप माया, गुण, और ज्ञान से परे हैं। वेद और पुराण भी आपके यश का गान करते हैं।
7. करुना सुखसागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता॥
आप करुणा और सुख के सागर हैं, सभी गुणों के भंडार हैं, जिनका श्रुति और संतगण गुणगान करते हैं।
8. सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥
वही श्रीकांत (श्रीराम) भक्तों के हित के लिए प्रकट हुए हैं, जो भक्तों से सच्चा प्रेम करते हैं।
9. ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै॥
सारे ब्रह्मांड आपकी बनाई माया से बने हैं, ऐसा वेद हर एक रोम-रोम में कहता है।
10. मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥
जो मेरे हृदय में निवास करते हैं, उन्हें बाल रूप में देख माता कौशल्या को यह उपहास जैसा लगता है, और उनका मन स्थिर नहीं रहता।
11. उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै॥
जब उन्हें ज्ञान हुआ कि प्रभु ही उनके पुत्र हैं, तो प्रभु मुस्कराए और विविध लीलाओं का संकल्प किया।
12. कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
श्रीराम ने सुंदर कथा कहकर माता को समझाया जिससे उन्हें पुत्रवत प्रेम प्राप्त हो।
13. माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा॥
माता ने पुनः कहा, उनकी बुद्धि डगमगा गई – हे तात! यह दिव्य रूप त्याग दो।
14. कीजै सिसु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥
बाल लीलाएँ कीजिए, जो अत्यंत प्रिय हैं; यह सुख अनुपम है।
15. सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा॥
माता की बात सुनकर प्रभु ने रोने का अभिनय किया और बालक का स्वरूप धारण कर लिया।
16. यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते प परहिं भवकूपा॥
जो भक्त इस चरित्र को गाते हैं, वे श्रीहरि के चरणों को प्राप्त होते हैं और संसार सागर (भवसागर) से पार हो जाते हैं।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
इस स्तुति का महत्व (Importance)
- यह स्तुति श्रीराम के अवतरण की लीला को दर्शाती है।
- इसे गाने से मन शुद्ध होता है और भक्ति की अनुभूति होती है।
- इसे विशेष रूप से राम नवमी, मंगलवार, और मंदिरों में भजन संध्या के समय गाया जाता है।
- भक्त इसे श्रीराम के प्रति प्रेम और समर्पण के साथ गाते हैं।
कहानी और रचना की पृष्ठभूमि (Background & History)
- यह स्तुति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है।
- यह श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड में आती है, जब श्रीराम का जन्म होता है।
- यह भगवान की लीलामयी शक्ति और भक्तों पर उनके करुणा रूपी अवतरण का संकेत देती है।
भए प्रगट कृपाला परम दयाला-श्री राम स्तुति
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q. “भए प्रगट कृपाला” स्तुति किसने लिखी?
A. यह प्रसिद्ध स्तुति गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है, जो रामचरितमानस के बालकाण्ड में वर्णित है।
Q. इस स्तुति का क्या महत्व है?
A. यह स्तुति भगवान श्रीराम के प्राकट्य और उनके बाल स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है। इसे पढ़ने या गाने से भक्तों के जीवन में शांति, श्रद्धा और दिव्यता का संचार होता है।
Q. “भए प्रगट कृपाला” स्तुति कब गाई जाती है?
A. यह स्तुति आमतौर पर राम नवमी, श्रीराम जन्मोत्सव, भजन संध्या या मंदिरों में विशेष पूजन के समय गाई जाती है।
Q. क्या इस स्तुति को रोज़ाना गा सकते हैं?
A. हाँ, इसे रोज़ाना पूजा-पाठ में गाना लाभदायक होता है। इससे श्रीराम जी की कृपा प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है।
Q. क्या इस स्तुति को बच्चों को भी सिखाया जा सकता है?
A. बिल्कुल! यह स्तुति सरल शब्दों में है और बच्चों को श्रीराम के दिव्य स्वरूप की जानकारी देने के लिए उत्तम है।