जहां जहां राधे वहां जाएंगे मुरारी,
गोकुल कि गलीयो मे देखो धूम मची है आज
ग्वाल बाल और गोप गोपियाँ झूमे सकल समाज
धरा गगन मे हर्ष है छाया बजे मुरलिया साज
मोर मुकुट पीताम्बर धारी आ पहुचे ब्रजराज
बोलो जय कन्हैया लाल कि
जहां जहां राधे वहां जाएंगे मुरारी
जहां जहां राधे वहा जाएगे मुरारी
अबीर गुलाल बरसाएंगे मुरारी
रंग भरी पिचकारी मारेंगे मुरारी
राधे कि…..
राधे रानी रूप है तो रंग है मुरारी
राधा परिधान है तो अंग है मुरारी
फूल मे सुगध जैसे बसती है वैसे
हर घड़ी राधाजी के संग संग है मुरारी
जहां जहां ….
काहे करे कान्हा ऐसे मोसे छेड़खानी
काहे रंग डारी ये चुनर मोरी धानी
रोके तू डगर काहे मारे पिचकारी
केसे समझाऊ तोहे हारी मै तो हारी
जहां जहां…..
प्रेम मे रंगे है दोनों राधा और मुरारी
एक दुजे संग खेले होली मनहारी
वृन्दावन धाम संग रंगों मे है डूबे
धरती गगन और गलिया ये सारी
जहां जहां……
अबीर गुलाल बरसाएंगे मुरारी
रंग भरी पिचकारी मारेंगे मुरारी
राधे कि…..
राधे कि चुनर रंग डारेगे मुरारी
जहां जहां राधे वहां जाएंगे मुरारी
राधा राधा राधा राधा
कृष्णा कृष्णा कृष्णा