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संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् (Sankat Nashan Ganesh Stotram)

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् (Sankat Nashan Ganesh Stotram) गणेश जी का एक शक्तिशाली स्तोत्र है। यह नारद पुराण से लिया गया एक स्तोत्र है। जिसमे भगवान को संकटनाशन बताया गया अर्थात गणेश जी के इस स्तोत्र जा जाप करने से हमे हमारे जीवन में आने वाली सभी संकटो से मुक्ति मिलती है। इसी कारण भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और विघ्नविनाशक भी कहा जाता है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् विधि (Sankat Nashan Ganesh Stotram Vidhi)

  • संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् पाठ शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू शुभ माना जाता है।
  • इसका पठन से पहने पाठ करने वाले को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • स्तोत्र का पठन के लिए स्वच्छ कपडे ही पहने।
  • गणेश जी की मूर्ति या फिर उनके फोटो का उपयोग कर सकते है।
  • गणेश जी को दूर्वा (दूब घास ) जरूर अर्पित करे।
  • गणेश जी को भोग के लिए फल और मिठाई अर्पित करे।
  • इसका जाप करने के लिए आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें क्योंकि यह शुभ माना जाता है।
  • इस मंत्र का जाप अपने सुविधानुसार आसन में बैठकर करे।
  • मंत्र का जाप ४० दिनों तक अवश्य करना चाहिए जिससे इसका लाभ आपको अवश्य देखने को मिलेगा।
  • इस स्तोत्र जा जाप करने के बाद गणेश जी का आरती के साथ पूजा करे।
  • इसके बाद अपने परिवार के सुख शांति समृद्धि के लिए भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगे।
  • फिर भगवान को लगाए हुए भोग को परिवार में बाँट दे।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् लाभ (Sankat Nashan Ganesh Stotram Benefit)

  • संकटों का नाश:
    स्तोत्र के पाठ से संकटों और मुश्किलों का नाश हो सकता है। भक्तिभाव से गणेश भगवान की प्रार्थना करने से अनेक समस्याएँ हल हो सकती हैं।
  • सुख-शांति:
    स्तोत्र के पाठ से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का कारण बनता है।
  • बुद्धि और विद्या की वृद्धि:
    गणेश भगवान को बुद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस स्तोत्र के पाठ से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  • साधना में सहायता:
    यह स्तोत्र भक्तों को आत्मविकास और आध्यात्मिक साधना में सहायक होता है, क्योंकि गणेश भगवान को ज्ञान का दाता माना जाता है।
  • धार्मिक साधना में उत्साह:
    इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों में धार्मिक साधना में और भगवान के प्रति भक्ति में वृद्धि होती है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् हिंदी में (Sankat Nashan Ganesh Stotram In Hindi)

॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच –
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥


॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् अंग्रेजी में (Sankat Nashan Ganesh Stotram In English)

Pranamyam Shirsa Dev Gauriputram Vinayakam ।
Bhaktavasam: Smarinityammayu: Kamarthasiddhaye ॥ 1 ॥

Pratham Vakratundancha Ekadantam Madhyamikam ।
Tritiya Krishnam Paksham Gajavaktram Chaturthakam ॥ 2 ॥

Lambodaram Pancham Cha Shashtam Vikatmeva Ch ।
Saptamam Vighnarajendram Dhumravarna Tathashtakam ॥ 3 ॥

Navam Bhalchandram Cha Dasham Tu Vinayakam ।
Ekadashm Ganpatim Dvadasham Tu Gajananam ॥ 4 ॥

Dvadshaitani Namani Trisandhya Yah Pathenarah ।
Na Cha Vighnabhayam Tasya Sarvasiddhikaram Prabho ॥ 5 ॥

Vidyarthi Labhte Vidyam Dhanarthi Labhte Dhanam ।
Putrarthi Labhte Putran Moksharthi Labhte Gatim ॥ 6 ॥

Japedvaganpatistotram Shadbhirmasai: Phalam Labhet ।
Samvatsarena Siddhi Cha Labhte Natra Doubt: ॥ 7 ॥

Ashtabhyo Brahmanebhyashch Liktwan Ya: Samarpayet ।
Tasya Vidya Bhavetsarva Ganeshasya Prasadat: ॥ 8 ॥

॥ Iti Srinaradpurane Sankashtanam Ganeshstotra Sampurnam ॥

यह भी देखे -

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् – FAQ
संकटनाशन गणेश स्तोत्रम क्या है?

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम् (Sankat Nashan Ganesh Stotram) गणेश जी का एक शक्तिशाली स्तोत्र है। यह नारद पुराण से लिया गया एक स्तोत्र है जिसमें भगवान गणेश को संकटनाशन बताया गया है। इस स्तोत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम का पाठ कैसे किया जाता है?

इस स्तोत्र का पाठ शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करना शुभ माना जाता है।
– पाठ करने वाले को शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
– स्वच्छ वस्त्र पहनें।
– गणेश जी की मूर्ति या फोटो के सामने बैठें।
– दूर्वा अर्पित करें।
– फल और मिठाई का भोग लगाएं।
– पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
– 40 दिनों तक नित्य पाठ करें।
– अंत में गणेश जी की आरती करें और भोग को परिवार में बाँट दें।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम का क्या महत्व है?

इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह संकट, कठिनाइयों और आपत्तियों को दूर करता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

क्या इस स्तोत्र का विशेष समय है?

इस स्तोत्र का पाठ गणेश चतुर्थी, विघ्नेश चतुर्थी, शुक्ल पक्ष के बुधवार, गणेश जयंती, या किसी भी शुभ मुहूर्त पर करना अति फलदायी होता है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम को किस दिशा की ओर मुख करके करे?

इस स्तोत्र का पाठ पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए, क्योंकि यह दिशा शुभ और सकारात्मक मानी जाती है।

संकटनाशन गणेश स्तोत्रम कितने दिन तक करना चाहिए?

इस स्तोत्र का पाठ 40 दिनों तक नित्य करना चाहिए। इससे साधक को निश्चित ही इसका शुभ फल प्राप्त होता है।

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