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श्री राम चालीसा (Shree Ram Chalisa)

श्री राम चालीसा (Shree Ram Chalisa) एक प्रसिद्ध हिन्दी भक्ति ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री राम की महिमा, गुणों और भक्ति को व्यक्त किया गया है। यह चालीसा श्री रामभक्तों द्वारा नियमित रूप से पाठ की जाती है और इसके कई मान्यताएं हैं।

श्री राम चालीसा हिंदी में (shree ram chalisa in hindi)

॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं

॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥

निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥

जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥

तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥

गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥

राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥

फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥

ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥

महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥

सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥

घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥

सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥

इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥

जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥

सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥

जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥

रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥

सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥

याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥

आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥

और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥

साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥

अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥

॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥

राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥

श्री राम चलिसा अंग्रेजी में (Shree Ram Chalisha in English)

॥ Doha ॥
Aadau Ram Tapovanaadi Gamanaṁ, Hatvaa Mrigaa Kaanchanam
Vaidehi Haranaṁ Jataayu Maranaṁ, Sugreeva Sambhaashanam
Baali Nirdalaṁ Samudra Taranam, Lankaapuri Daahanam
Pashchad Raavanam, Kumbhakarṇam Hananam, Etaddhi Ramayanam

॥ Chaupai ॥
Shri Raghubeer Bhakt Hitakaari
Suni Leejai Prabhu Araj Hamaari

Nishi Din Dhyaan Dharai Jo Koi
Taa Sam Bhakt Aur Nahi Hoi

Dhyaan Dhare Shivji Man Maahi
Brahma Indra Paar Nahi Paahi

Jai Jai Jai Raghunaath Kripaala
Sadaa Karo Santan Pratipaala

Doot Tumhaar Veer Hanumaana
Jaasu Prabhaav Tihun Pur Jaana

Tuv Bhujdand Prachand Kripaala
Raavan Maari Suran Pratipaala

Tum Anaath Ke Naath Gosaaee
Deenan Ke Ho Sadaa Sahaai

Brahmaadik Tav Paar Na Paavai
Sadaa Eesh Tumharo Yash Gaavai

Chaariyu Ved Bharat Hain Saakhee
Tum Bhaktan Ki Lajja Raakhee

Gun Gaavat Shaarad Man Maahi
Surapati Taako Paar Na Paahi ॥10॥

Naam Tumhaar Let Jo Koi
Taa Sam Dhanya Aur Nahi Hoi

Ram Naam Hai Aparampaaraa
Chaarihu Vedan Jaahi Pukaaraa

Ganapati Naam Tumhaaro Leenho
Tinko Pratham Pujya Tum Keenho

Shesh Ratat Nit Naam Tumhaara
Mahi Ko Bhaar Sheesh Par Dhaara

Phool Samaan Rahat So Bhaaraa
Paavat Kou Na Tumharo Paaraa

Bharat Naam Tumharo Ur Dhaarho
Taason Kabhun Na Ran Mein Haarho

Naam Shatrughan Hriday Prakaasha
Sumirat Hot Shatru Kar Naasha

Lashan Tumhaare Aagyaakaari
Sadaa Karat Santan Rakhvaari

Taate Ran Jeete Nahi Koi
Yuddh Jure Yamhoon Kin Hoi

Maha Lakshmi Dhar Avataaraa
Sab Vidhi Karat Paap Ko Chhaaraa ॥20॥

Sita Ram Puneeta Gaayo
Bhuvaneshwari Prabhaav Dikhaayo

Ghat So Prakat Bhai So Aai
Jaako Dekhat Chandra Lajaai

So Tumre Nit Paav Palotat
Navo Niddhi Charanan Mein Lotat

Siddhi Athaarah Mangal Kaari
So Tum Par Jaavai Balihaari

Aurahu Jo Anek Prabhutaaee
So Sitaapati Tumhin Banaai

Ichchhaa Te Kotin Sansaaraa
Rachat Na Laagat Pal Ki Baaraa

Jo Tumhare Charanan Chit Laavai
Taako Mukti Avasih Ho Jaavai

Sunahu Ram Tum Taat Hamaare
Tumhin Bharat Kul-Pujya Prachaare

Tumhin Dev Kul Dev Hamaare
Tum Guru Dev Praan Ke Pyaare

Jo Kuch Ho So Tumhin Raajaa
Jai Jai Jai Prabhu Raakho Laajaa ॥30॥

Raamaa Aatma Poshan Haare
Jai Jai Jai Dasharath Ke Pyaare

Jai Jai Jai Prabhu Jyoti Swaroopaa
Nigun Brahm Akhand Anoopaa

Satya Satya Jai Satya-Vrat Swaamee
Satya Sanaatan Antaryaamee

Satya Bhajan Tumharo Jo Gaavai
So Nishchay Chaaron Phal Paavai

Satya Shapath Gauripati Keenhi
Tumne Bhaktahin Sab Siddhi Deenhi

Gyaan Hriday Do Gyaan Swaroopaa
Namo Namo Jai Jaapati Bhoopaa

Dhanya Dhanya Tum Dhanya Prataapaa
Naam Tumhaar Harat Santaapaa

Satya Shuddh Devan Mukh Gaayaa
Baji Dundubhi Shankh Bajaayaa

Satya Satya Tum Satya Sanaatan
Tumhin Ho Hamare Tan Man Dhan

Yaako Paath Kare Jo Koi
Gyaan Prakat Taake Ur Hoi ॥40॥

Aavaagaman Mitai Tihi Keraa
Satya Vachan Maane Shiv Meraa

Aur Aas Man Mein Jo Lyaavai
Tulsi Dal Aru Phool Chadhaavai

Saag Patra So Bhog Lagaavai
So Nar Sakal Siddhataa Paavai

Ant Samay Raghubar Pur Jaai
Jahaan Janm Hari Bhakt Kahaai

Shri Hari Daas Kahai Aru Gaavai
So Vaikunth Dhaam Ko Paavai

॥ Doha ॥
Saat Divas Jo Nem Kar Paath Kare Chit Laay
Hari Daas Hari Kripaa Se Avashi Bhakti Ko Paay

Ram Chalisa Jo Padhe Ram Charan Chit Laay
Jo Ichchha Man Mein Kare Sakal Siddh Ho Jaay

श्री राम चालीसा पाठ करने के लाभ

श्री राम चालीसा एक अत्यंत शक्तिशाली और पुण्यदायक स्तुति है, जिसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे श्री राम चालीसा पाठ करने के मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:

  • मानसिक शांति और स्थिरता
    श्री राम चालीसा का पाठ मन को शांति देता है और चिंताओं से मुक्ति दिलाता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा और शुद्ध विचार उत्पन्न होते हैं।
  • भय और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
    राम नाम का स्मरण और चालीसा का पाठ सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, डर और बाधाओं से रक्षा करता है।
  • भक्ति और आत्मिक उन्नति
    श्री रामचन्द्र जी की भक्ति में स्थिरता आती है। आत्मा शुद्ध होती है और ईश्वर से संबंध प्रगाढ़ होता है।
  • पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
    नियमित रूप से राम चालीसा का पाठ करने से पिछले पाप क्षीण होते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है।
  • मनोकामना पूर्ति
    श्रद्धा और नियम से पाठ करने पर मन की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। यह अनुभूत और प्रमाणित तथ्य है।
  • गृहक्लेश और संकटों से मुक्ति
    परिवार में प्रेम और शांति बनी रहती है। जीवन के बड़े से बड़े संकटों का समाधान स्वतः होता है।
  • मृत्यु के समय श्री रामधाम प्राप्ति
    जो व्यक्ति नियमित रूप से राम चालीसा पढ़ता है, उसे मृत्यु के समय श्री राम का स्मरण होता है और उसे भगवान के परम धाम की प्राप्ति होती है।

विशेष मान्यता:
यदि कोई व्यक्ति सात दिनों तक नियमपूर्वक श्री राम चालीसा का पाठ करता है, तो भगवान श्रीराम की विशेष कृपा से उसे भक्ति, शांति और सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है।

यह भी देखें -

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फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। जय श्रीराम! 🙏