बागेश्वर धाम कैसे पहुंचें?
1. सड़क मार्ग से:
बागेश्वर धाम छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में स्थित है, जो खजुराहो-पन्ना रोड पर है। छतरपुर से धाम की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। आप निजी वाहन, टैक्सी या बस के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं।
- छतरपुर से बागेश्वर धाम की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है।
- पन्ना रोड से होकर आप गढ़ा गाँव पहुँच सकते हैं जहाँ बागेश्वर धाम स्थित है।
- छतरपुर, खजुराहो, सतना, पन्ना और आसपास के शहरों से बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से पहुँचना आसान है।
यदि आप मध्य प्रदेश के बाहर से आ रहे हैं, तो पहले छतरपुर या खजुराहो पहुँचना बेहतर रहेगा।
2. रेल मार्ग से:
निकटतम रेलवे स्टेशन छतरपुर और खजुराहो हैं। छतरपुर स्टेशन से धाम की दूरी लगभग 24 किलोमीटर है, जबकि खजुराहो से यह दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। दोनों स्टेशनों से टैक्सी या बस की सुविधा उपलब्ध है।
3. हवाई मार्ग से:
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है, जो धाम से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से खजुराहो के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
बागेश्वर धाम में अर्जी कैसे लगाएं?
अर्जी लगाने का उद्देश्य स्पष्ट करें
सबसे पहले तय करें कि आप किस समस्या के लिए अर्जी लगाना चाहते हैं, जैसे:
- विवाह में बाधा
- नौकरी या व्यापार में रुकावट
- शत्रु बाधा
- भूत-प्रेत बाधा
- संतान सुख
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानी
1. धाम में जाकर अर्जी लगाना:
- सामान्य अर्जी: लाल कपड़े में नारियल बांधकर धाम परिसर में रखें।
- शादी-विवाह से संबंधित अर्जी: पीले कपड़े में नारियल बांधें।
- प्रेत बाधा से संबंधित अर्जी: काले कपड़े में नारियल बांधें।
अर्जी लगाने के बाद आपको टोकन लेना होता है, जो धाम में ही वितरित किए जाते हैं।
2. घर बैठे अर्जी लगाना:
यदि आप धाम नहीं जा सकते, तो घर पर भी अर्जी लगा सकते हैं:
- मंगलवार के दिन एक लाल कपड़े में नारियल बांधें।
- उसमें 5 लौंग रखें।
- नारियल को अपने पूजा स्थल पर रखें।
- “ॐ बागेश्वराय नमः” मंत्र की एक माला जपें।
- जब तक अर्ज़ी पूरी न तक के लिए प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें। (यदि इन तीनो चीज़ों का सेवन हमेशा के के लिए बंद कर दें तो ज्यादा अच्छा है)
अर्जी स्वीकार हुई या नहीं, कैसे जानें?
यदि आपकी अर्जी स्वीकार होती है, तो आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को लगातार 2-3 दिनों तक सपने में बंदर (हनुमान जी) दिखाई देंगे। यदि ऐसा नहीं होता, तो अगले मंगलवार को पुनः अर्जी लगाएं।
पेशी क्या है?
पेशी बागेश्वर धाम में एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है, जो तब की जाती है जब किसी श्रद्धालु की अर्जी स्वीकृत हो जाती है। यह हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने और अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ निभाई जाती है।
“पेशी” का मतलब है—बागेश्वर धाम में हनुमान जी के सामने उपस्थित होकर, नियमपूर्वक सेवा, भक्ति और पूजा करना। जब किसी की अर्जी धाम में स्वीकार हो जाती है, तो उसे एक निश्चित अवधि तक धाम में उपस्थित रहकर सेवा करनी होती है। इसे ही ‘पेशी लगाना’ कहते हैं।
पेशी की अवधि कितनी होती है?
- आमतौर पर 21 शनिवार या 21 मंगलवार तक लगातार पेशी लगानी होती है।
- यदि समस्या अधिक गंभीर है, तो पेशी की अवधि बढ़ भी सकती है।
पेशी में क्या करना होता है?
- हर मंगलवार या शनिवार को धाम में आकर उपस्थित होना।
- लाल कपड़े में नारियल लेकर हनुमान जी को चढ़ाना।
- “ॐ बागेश्वराय नमः” मंत्र का जप करना।
- पूजा-पाठ, आरती और हनुमान चालीसा का पाठ करना।
- धाम के नियमों का पालन करना।
पेशी के दौरान क्या वर्जित होता है?
पेशी के समय भक्त को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है और ये चीज़ें वर्जित होती हैं:
- प्याज, लहसुन, मांस, मछली और अंडा
- शराब या अन्य नशीले पदार्थ
- किसी भी प्रकार की वासनात्मक गतिविधि
- झूठ बोलना, चोरी करना, या किसी का अपमान करना
पेशी क्यों जरूरी है?
पेशी एक प्रकार की आस्था और समर्पण की परीक्षा होती है। इससे यह सिद्ध होता है कि अर्जी लगाने वाला व्यक्ति वाकई अपनी समस्या को लेकर गंभीर है और प्रभु से निस्वार्थ भाव से जुड़ना चाहता है।
यदि आप बागेश्वर धाम में अर्जी लगाते हैं और आपकी अर्जी स्वीकार होती है, तो पेशी लगाना आपका कर्तव्य और हनुमान जी के प्रति आभार प्रकट करने का माध्यम बन जाता है।
रहने और खाने की व्यवस्था:
- बागेश्वर धाम परिसर के आसपास धार्मिक विश्राम गृह और होटल मौजूद हैं।
- धाम में निःशुल्क भोजन प्रसाद की भी व्यवस्था रहती है।