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सुन्दर काण्ड: श्री रामचरितमानस (Sundar Kand:Shri Ramcharitmanas)

सुन्दर काण्ड Sundar Kand

।।सुन्दर काण्ड श्री रामचरितमानस।। ।।आसन।। कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।।आसान लीजो प्रेम से। करहुँ सदा कल्याण।। || श्लोक || शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं,ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्,रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीयेसत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मेकामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहंदनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।सकलगुणनिधानं वानराणामधीशंरघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। जामवंत के […]