बेकरारी दिल की, बढ़ने लगी है,
अब तो रात यादों में, जगने लगी है।
चाहत है दिल में तुझको मैं पा लूँ,
दिलबर मेरे तुझको, तुझी से चुरा लूँ।
तू ख्वाब बनके हरपल, सजने लगी है।
अब तो रात यादों में, जगने लगी है।
बेकरारी दिल की, बढ़ने लगी है,
काश तेरा दिल भी जाना, यूँ ही बेक़रार हो,
रातों में तारें गिन-गिन, मेरा इंतज़ार हो।
पतझड़ में सावन जैसे, चलने लगी है।
अब तो रात यादों में, जगने लगी है।
बेकरारी दिल की, बढ़ने लगी है,